Add To collaction

हमदर्द जीवनसाथी लेखनी प्रतियोगिता -30-Jan-2024

           हमदर्द जीवनसाथी

        आज आरजू के भाई  की शादी थी। आरजू के मायके में जोर से तैयारी चलरही थी। आरजू के पति सुलभ ने न आने का बहाना बनाया था कि उसके आफिस  में आज बहुत महत्वपूर्ण  मीटिंग  है इसलिए  उसका आना असम्भव  है ।

     सुलभ  ने अपनी पत्नी व बेटी के लिए  नए  कपड़े  लेकर देदिये थे। लेकिन  सुलभ के साले ने जिद पकड़ ली कि जीजाजी नहीं आयेंगे तो वह शादी में दूल्हा नहीं बनेगा। सुलभ   भी शादी में जाना चाहता था लेकिन  उसकी मजबूरी यह थी कि सुलभ के पास अच्छे कपड़े  नहीं थे। इसलिए  वह बहाना बना रहा था।

      अपने साले पुनीत के आगे उसे झुकना पड़ा और वह ससुराल  पहुंच  गया। सुलभ  अपने पुराने कपड़े  पहनकर तैयार  होगया । वह शीशे के आगे खडे होकर खुद को देखने की कोशिश कर ही रहा था की उसके बड़े साले योगेश ने कहा,"अरे जीजाजी आप अबतक तैयार नही हुए ? आपसे छोटे वाले जीजा जी तो शेरवानी पहनकर कार मे मम्मी पापा को लेकर निकल भी गए ?और आरजू दीदी और अनुष्का कहाँ है ?


सुलभ बोला, " योगेश  तुम चलो में देखता हूँ "

   योगेश तो चला गया मगर सुलभ का चेहरा गुस्से में तमतमा गया।   योगेश  ने सच ही कहा था  क्यौकि छोटेवाले जीजाजी यानि उससे छोटेवाले दामाद  उससे कहीं ज्यादा अमीर थे शादी फंग्शन मे ऐसे बनठन कर आते थे जैसे शादी उन्हीं की हो मगर वहीं सुलभ एक सामान्य परिवार में सामान्य नौकरी  करता था।

    इसलिए  ही उसने अपनी पत्नी से कहा था कि  तुम दोनों चली जाओ पुनीत की शादी में ,और तैयारी भी करवा दी थी पत्नी आरजू और बेटी अनुष्का की ।

        अब सुलभ को अपनी पत्नी आरजू पर गुस्सा आरहा था। उसने आरजू को आवाज  देकर  बुलाया और बोला," आरजू मैं तुम्हें कबसे खोज रहा हूँ? कब से आवाजें दे रहा हूं । यहां आकर तुम्हें कुछ याद भी रहता हैं की तुम्हारा एक पति भी है ।हाँ लगी होगी संजने संवरने मे बहनों के साथ  ?"
     आरजू ने जब सुलभ को पुराने कपडौ में देखा तब वह सब समझ गई  और अन्दर से एक नया कोट पेंट लेकर आई।  आरजू ने जब कोट पेंट सुलभ को दिया तब वह पूछने लगा "  आरजू ये तो वहीं है ना जो उसदिन हमने बाजार में देखा था?तुमने ये  कैसे खरीदा ?मतलब तुम्हारे पास इतने पैसे  कहाँ से आये?"

    आरजू बोली," आप ही ने दिए थे वो मेरे और अनुष्का  के ब्यूटी पार्लर  के लिए  ।देखिए हम दोनों घर पर ही तैयार होगये।और अब आप भी तैयार हो जाइए वरना हमें देरी हो जाएगी।"

सुलभ बौला," आरजू तुम्हें हार व
श्रृंगार का सामान लेना था ?

     "देखो सुलभ आप ही तो हो मेरी मैंचिंग हो ! और आपके चेहरे की ये प्यारी सी मुसकान मेरा श्रृंगार है।", इतना कहकर  आरजू सुलभ के सीने से लग गई ।

   यह सुनकर  सुलभ  की आँखे गीली होगई। भीगी आँखें लिए सुलभ  बोला," आरजू सचमुच मैं तुम बिन  अधूरा हूँ। तुम से ही बना मेरा जीवन सुंदर सपन सलोना! तुम मुझसे जुदा ना होना! कभी मुझसे खफा ना होना।

आज की दैनिक  प्रतियोगिता हेतु।
नरेश  शर्मा " पचौरी "

   21
3 Comments

Milind salve

05-Feb-2024 02:41 PM

Nice

Reply

Gunjan Kamal

30-Jan-2024 04:26 PM

बहुत खूब

Reply

Mohammed urooj khan

30-Jan-2024 04:21 PM

शानदार कहानी

Reply